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#बेचैन कर है रही ये बारिशें अंदर की आग आदमी को अधमरा कर छोड़ती है! न कर मुआफ़िक रबड़ के खिंच कर सुबह जो शाम होती है शांत कर रह तन्हा दिया

Hindi कंपित कर रक्खा है Poems